इसी पत्रकारिता क्षेत्र में आज मै बदनामी महसूस कर रहा हु !इस परस्थिति पर मुझे गिराने में सबसे बड़ा हाथ एक पत्रकार कही है !
हमारे समाज में हम दो ही पत्रकार है ! हम आज १८साल से कलम चला राहु गौव समाज का परस्थिति दुनियाको बता राहु बिना किसी स्वार्थ के ! इतने सालों में हमने इस कलम से कुछ नहीं कमाया हु ! और हमारे समाज के दूसरे पत्रकार जो केवल १८ महीने से पत्रकार कहलाया है ओ आज दुनियाको चूस रहा है !नेताओ से मिलकर उनके झूठे गुण गान कर लाखों कमा रहा है !
मुझ से उसे कुछ तो दिक्कत है !
दरअसल घटना यह है ! हमारे गौव समाज में ही नहीं पूरे देश में रासायनिक मल का काफी अभाव है !जिल्लत पड़ी है मल खाद का !
सरकार हर नगर के या गौ के सहकारी को खाद बढ़ने जिम्मा दिया गया है !
यह का सहकारी खाद को हर बार उन्हीं लोगों को देती है जो जिसका पहुंच पहले होता है ! अब हर बार हर किसान अपना पहुंच बना नहीं सकता खेती सभी करते है ! खाद सभी को चाहिए ! समाज में एक नेता भी खेती करते है ,मास्टर भी खेती करते है और पत्रकार भी खेती करते है खाद सभी को चाहिए ! मगर बांटने की प्रक्रिया गलत होने से कमजोर असहाय और बिना पहुंच बाला ले नहीं पा रहा है ! जहां पूरे गांव में ५००बोरा का जरूरत होता है वहां सरकार ५० बोरा देती है कैसे किसान खेती करेगा ! इस परस्थिति को एक जनप्रतिनिधि को समझ दारी बनानी चाहिए और हर लोगों को मिले ऐसी व्यवस्था मिलना चाहिए मगर उसे यहके जन प्रति निधि को कोई मतलब नहीं दिखा !
सहकारी की परस्थिति को देख कर हमने खुल कर मीडिया में इस तरह से दो बार हमने उसका न्यूज बनाया
डाला फिर भी स्थानीय जन प्रति निधि मतलब नहीं रखा !
हम किसान होनका वजह सभ्य होकर हर बार खाद के लिए लाइन में रहा लेकिन खाद नहीं मिला !
एक महीने बाद फिर सहकारी ने खाद वितरण किया हम भी लाइन में लेकर उन्हीं के निम्नानुसार १बोरा खाद लिया !
सहकारी का नियमसे एक व्यक्ति २५ किलो खाद लेना था उसी तरह हम दो थे तो ५० किलो खाद मिला !
मगर हमने यह भी देखा सहकारी वाले अपने जन पहचान को दो बोरा से भी अधिक दे रहा है ये मुझे गलत लगा तो हमने संयंता से समिति के लोगों को पूछा ! दूसरे को दो बोरा ३ बोरा दे रहे है मुझे भी तो चाहिए !
वहां कुछ देर संयंता से रहने के लिया कहा "मिलेगा " जब अंतिम बारी आई और मैने कहा अब तो मुझे दे दे खाद तो सहकारी के अध्यक्ष ने मुझे बदनाम करने के लिए बहुत तरह के बाते आवेश में आकर सुनाने लगे !
तुम पत्रकार हो तो क्या करेगा ! तुम से हम नहीं डरते !
लोगों को २५किलो दिए तुम को २बोरा चाहिए !
इस तरह से हल्ला का साथ अपशब्द बकने लगे फिर मै संयंता से ही उसका वीडियो बनाना शुरू किया !
फिर न्यूज बनाकर उसमें जनप्रतिनिधि का नाम समावेश कर ये कहा कि खाद का समस्य को जन प्रतिनिधि सुधार सकता है मगर वे कुछ कर नहीं रहे है जिस से हर किसान सहूलियत से खाद प्राप्त कर सके !
इस बात को जन प्रति निधि ,सहकारी वाले और वे लोग जो बिना लाइन के आसानी से २ –३ बोरा खाद हर बार प्राप्त करते थे जिसमें एक और पत्रकार शामिल थे वे सभी हमे दोषी ठहरा दिया! क्यों कि सच बात बोलने वालों की संख्या कम थी और बुराई का तरफ अधिक लोग शामिल थे उनलोगे का संगठन मजबूत थे !
जन दूसरे पत्रकार ही सहकारी से लाइन बिना २ बोरा खाद ले चुका तो उसे सहकारी का तरफदारी करने में ही अपना बचाव देखा और अपने बचाओ में हम जैसे ईमानदार पत्रकार को दोषी ठहराया गया !
हमारे पक्ष में और सर्वसाधारण के हित के लिए चार लोग गए वो भी विरोधी का बहुमत को देख खामोश रह गया!
मुझे महसूस हुआ अपने आपको किसी नुकसानी में डालकर लोगोके लिए बोलने वाला बहुत कम होते है और हमारे साथ तो बिल्कुल नहीं है !
मैं समाज के लिए लड़ने वाला अकेला हु !
धन्यवाद